ऐसे करें टैक्स सेविंग्स
वित्त वर्ष 2017-18 समाप्त होने वाला है, यह समय टैक्स प्लानिंग का है। इस मौके का उपयोग आप बेहतरीन टैक्स बचत योजनाओं को बनाने और लागू करने में कर सकते हैं।
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वित्त वर्ष 2017-18 समाप्त होने वाला है, यह समय टैक्स प्लानिंग का है। इस मौके का उपयोग आप बेहतरीन टैक्स बचत योजनाओं को बनाने और लागू करने में कर सकते हैं।
आपको संबंधित वित्तीय वर्ष के दौरान दिये गए किराये की पर्ची और करारनामा, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, परिवार और माता-पिता के लिए दिया गया हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम, ट्यूशन फीस और आयकर अधिनियम की धारा 80(सी) के तहत किये गए निवेशों से जुड़े दस्तावेजों के साथ-साथ टैक्स का हिसाब करने के लिए आवश्यक अन्य सभी विवरणों को सुव्यवस्थित करके रखना चाहिए।
- आयकर की धारा 24 (बी) और धारा 80 (सी) के तहत होम लोन की ईएमआई पर टैक्स की छूट मिलती है।
- धारा 80 (ई) के तहत एजुकेशन लोन पर दिया जाने वाला ब्याज पर टैक्स से छूट मिलती है।
- धारा 80 (डीडीबी) के तहत पागलपन, किडनी फेल, जैसी कुछ बीमारियों के इलाज पर होने वाले खर्च पर भी टैक्स छूट मिलती है।
- धारा 80 (डी) के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर भी आयकर छूट मिलती है।
- धारा 80 (जी) के तहत परोपकारी संस्थानों को दिए जाने वाले दान पर भी आयकर छूट मिलती है।
- मकान का किराया एक महत्वपूर्ण खर्च है, जो आपका काफी टैक्स बचा सकता है। किराये की पर्चियां अन्य डाक्यूमेंट्स के साथ जमा करनी होती हैं।
पहली बार खरीद रहे हैं घर तो उठा सकते हैं फायदा
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- यदि आप पहली बार एक घर खरीद रहे हैं तो धारा 80 (ईई) के तहत और इसके लिए गये होम लोन पर 50,000 रुपये तक अतिरिक्त टैक्स लाभ मिल सकता है। लेकिन लोन की रकम 35 लाख रुपए से अधिक और प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- सारे उपाय करने के बाद भी अगर टैक्स की रकम को कम नहीं कर पा रहे हैं तो नया निवेश करने के बजाय अपने माता-पिता या सास-ससुर के अकाउंट में फंड ट्रांसफर करने पर देना चाहिए। इनकी टैक्स छूट सीमा अधिक होती है। इस तरह के निवेश पर होने वाली आमदनी, प्राप्तकर्ता (माता-पिता या सास-ससुर) की फाइल में टैक्सेबल होगी और इस तरह आप अगले वित्तीय वर्ष में लगने वाले टैक्स की रकम को कम कर सकते हैं।
-(ट्रिन्यू)
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